दूर कहीं पहाड़ों से एक आवाज़ आती है,
हर रोज़ ज़िन्दगी का एक तार छेड़ जाती है,
हवा के ठंडे झोंके का एहसास,
मिट्टी की सोंदी ख़ुशबू की प्यास,
हर रोज़ अपने साथ लेकर आती है,
और रोज़ आकर इसी तरह
मेरी रूह को मेहकाती है,
एक चाय की प्याली के साथ बैठो
तो गुफ्तगू भी कर जाती है,
लगता है जैसे मुझे मेरे ही
दिल की आवाज़ सुना जाती है,
सुन कर वो आवाज़ एक आह सी होती है,
लगता है जैसे मेरी ज़िन्दगी कहीं छूटी है,
आंखों में वो मंज़र है छा जाता,
बैठ पहाड़ों पर जब दिल हवा में गोते खाता,
वो एहसास दिल को याद दिलाने आती है
ये आवाज़ हर रोज़ मुझे बुलाने आती है।।
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