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Sunrise at Sandakphu

Writer's picture: Deeksha SaxenaDeeksha Saxena

बर्फीली हवाओं में ज़ोर था,

उत्साह भी कहां कम इस ओर था,

चारों ओर सन्नाटा था,

मगर ये दिल तो सुन पाता था,

कानों में आती एक आवाज़ थी,

आनंद का छेड़ती एक साज़ थी,

आंखों को जैसे उसी की तलाश थी,

वो लम्हा, जैसे बुझती एक प्यास थी,

उगते सूरज की जो पहली किरण थी,

शिखर पर बिखरी वो लालिमा थी,

एक ओर सोने सा चमकता वो शिखर था,

दूसरी ओर उगते सूरज का सुनहरा मंज़र था,

वो दृश्य ही अनोखा था,

एक पल ने जब सब कुछ रोका था,

संदकफू के शिखर से देखा ऐसा समां था,

ये दिल मेरा वहीं ठहर सा गया था,

रुक न सका, समय का पहिया चल रहा था,

दिल में कैद वो लम्हा

आंखों से लुप्त हो रहा था,

ढलता वो क्षण न थम सका

वक़्त अपनी गति से चल रहा था,

कंधों पर उठाए हुए बस्ता

सफ़र भी मेरा आगे बढ़ रहा था।


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