आसमान से जो बरसी है
सफेद चादर सी बिछी है
दूर से वो चमकी है
ठंड की एक कड़की है
आंखो में एक चमक है
मन में एक उमंग है
जाने कैसा ये राज है
जो बुझती एक प्यास है
आंखो का ये नजारा है
मन को जो लगा प्यारा है
लम्हा जो ये बीत रहा है
मन में मगर जो जी रहा है
जाते हुए मन उदास है
फिर से मिलने की मगर आस है
कुदरत का ये ऐसा अंदाज है
सुनती मेरे मन की जो अरदास है
उन लम्हों को जीने की
बची बस यही एक रात है
बर्फ की इस नगरी का
हर लम्हा दिल के पास है।
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