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Writer's pictureDeeksha Saxena

मुसाफ़िर - A traveler

खत्म कुछ देर को दुनिया का झमेला कर दे,

ऐ मुसाफ़िर तू खुद को ज़रा अकेला कर ले,

थाम हाथ तू ज़रा अपने दिल का,

तू सुन तेरा दिल तुझे है पुकारता,

वो आवाज़ के पीछे तू भाग ज़रा,

ऐ मुसाफ़िर, तू खुद को पहचान ज़रा,

मत देख पीछे क्या है छूट रहा,

ये सफ़र है, तू आगे है बढ़ रहा,

हर कदम एक नया मंज़र आयेगा,

हर क्षण कुछ नया सिखलायगा,

पथरीला है रास्ता, तो मखमली घास भी है,

धूप की गर्मी है, तो बारिश की बौछार भी है,

ऐ मुसाफ़िर, खुद को संभालना ज़रा,

ये पहाड़ है जनाब कदम संभालना ज़रा,

चोट लगे तो मरहम पट्टी कर लेना,

दो पल रुक, सफ़र फिर शुरू कर देना,

डगर है ऊंची नीची तू ध्यान इधर ज़रा कर ले,

याद कर ये रास्ता, तू आंखे साफ ज़रा कर ले,

गुजरना है तुझे ख़ुद के अंदर से, दूर तू ये मेला कर दे,

ऐ मुसाफ़िर तू ख़ुद को ज़रा अकेला कर लें,

खत्म कुछ देर को दुनिया का झमेला कर दे।

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